साक्ष्य विधि का कार्य उन नियमों का प्रतिपादन करना है, जिनके द्वारा न्यायालय के समक्ष तथ्य साबित और खारिज किए जाते हैं। किसी तथ्य को साबित करने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जा सकती है, उसके नियम साक्ष्य विधि द्वारा तय किये जाते हैं। साक्ष्य विधि अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण विधि है। समस्त भारत की न्याय प्रक्रिया भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की बुनियाद पर टिकी हुई है। साक्ष्य अधिनियम आपराधिक तथा सिविल दोनों प्रकार की विधियों में निर्णायक भूमिका निभाता है। इस साक्ष्य अधिनियम के माध्यम से ही यह तय किया जाता है कि सबूत को स्वीकार किया जाएगा या नहीं किया जाएगा। अधिनियम को बनाने का उद्देश्य साक्ष्यों के संबंध में सहिंताबद्ध विधि का निर्माण करना है, जिसके माध्यम से मूल विधि के सिद्धांतों तक पहुंचा जा सके। इस साक्ष्य अधिनियम के माध्यम से ही जो इतने सारे अधिनियम बनाए गए हैं, उनके लक्ष्य तक पहुंचा जाता है। कोई भी कार्यवाही या अभियोजन चलाया जाता है, अभियोजन पूर्ण रूप से इस अधिनियम पर ही आधारित होता है। बिना साक्ष्य अधिनियम के अभियोजन चलाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है तथा किसी भी सिव...